mppt solar inverter
एमपीपीटी टेक्नोलॉजी बोहत पावर फुल होती ही इसमें बिलकुल भी एनर्जी का लॉस नहीं होता और mppt अधिकतम पावर प्वाइंट ट्रैकिंग के लिए इस्तिमाल किया जाता है, जो एक ऐसी सुविधा है जो सौर पैनल प्रणाली के प्रदर्शन को अनुकूलित करती है। एमपीपीटी सोलर इन्वर्टर एक इन्वर्टर है जिसमें यह सुविधा शामिल है। सीधे तोर पर अगर कहा जाये तो ये pwm की तुलना में ये काफी एफिशंट मना जाता ये जायदा एनर्जी वेस्ट नहीं होने देता इससे और जतनी भी एनर्जी सोलर प्लाट्स के द्वारा बनायीं जाती है वो पूरी इस्तिमाल होती है ।

MPPT एडवांस क्यों है
MPPT सोलर इन्वर्टर की एडवांस होने की वजह उसमे इस्तिमाल होने वाले IGBT है क्युकी PWM में सिर्फ ट्रांसिस्टर का इस्तिमाल किया जाता है । एक एमपीपीटी सोलर इन्वर्टर को सौर पैनलों द्वारा उत्पादित डीसी (डायरेक्ट करंट) पावर को एसी (अल्टरनेटिंग करंट) पावर में बदलने के लिए डिज़ाइन किया गया है जिसका उपयोग घरों या व्यवसायों में किया जा सकता है। एमपीपीटी सुविधा इन्वर्टर को लगातार वोल्टेज और सौर पैनलों के वर्तमान आउटपुट को समायोजित करने में सक्षम बनाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे बदलते मौसम और धूप की स्थिति में भी अपनी अधिकतम दक्षता पर काम कर रहे हैं।
MPPT सोलर इन्वर्टर का उपयोग करके, सोलर पैनल सिस्टम के मालिक अपने सिस्टम की समग्र ऊर्जा दक्षता और आउटपुट में सुधार कर सकते हैं, जिससे समय के साथ लागत बचत हो सकती है। इसके अतिरिक्त, पारंपरिक इनवर्टर की तुलना में एमपीपीटी सौर इनवर्टर अधिक टिकाऊ और लंबे समय तक चलने वाले हो सकते हैं।
pwm invarter technology : –

PWM इन्वर्टर mppt की तुलना में काफी सस्ते तथा कम एफिशंसी वाले होते है इन्वर्टर के आउटपुट वोल्टेज को नियंत्रित करने का एक सरल और लागत प्रभावी तरीका है। यह दालों की एक श्रृंखला के चालू और बंद समय को नियंत्रित करके काम करता है, जिसका उपयोग इन्वर्टर के आउटपुट वोल्टेज को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। PWM सोलर इन्वर्टर में, इन्वर्टर के वोल्टेज आउटपुट को इन दालों के कर्तव्य चक्र को समायोजित करके नियंत्रित किया जाता है।
अन्य प्रकार के सोलर इनवर्टर की तुलना में, PWM इनवर्टर आमतौर पर कम खर्चीला और डिजाइन में सरल होता है। हालांकि, वे अन्य प्रकार के इनवर्टर की तरह कुशल नहीं हो सकते हैं, खासकर उन स्थितियों में जहां सौर पैनल अलग-अलग मौसम और धूप की स्थिति के संपर्क में आते हैं। नतीजतन, पीडब्लूएम इनवर्टर आमतौर पर छोटे और कम जटिल सौर पैनल सिस्टम में उपयोग किए जाते हैं।
difference between mppt and pwm : –
एमपीपीटी सौर इन्वर्टर वास्तविक समय में सौर पैनल सरणी के अधिकतम पावर प्वाइंट को ट्रैक करने के लिए उन्नत एल्गोरिदम और इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग करते हैं। इसका मतलब यह है कि इन्वर्टर सौर पैनलों के वोल्टेज और वर्तमान आउटपुट को समायोजित करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मौसम या छायांकन की स्थिति बदलने पर भी वे अपनी अधिकतम दक्षता पर काम कर रहे हैं। एमपीपीटी इनवर्टर आमतौर पर उच्च ऊर्जा उपज प्राप्त कर सकते हैं और पीडब्लूएम इनवर्टर से अधिक कुशल हैं।

दूसरी ओर, PWM सोलर इनवर्टर एक सरल और कम खर्चीली तकनीक है जो दालों की एक श्रृंखला में आउटपुट को चालू और बंद करके सोलर पैनल सिस्टम के वोल्टेज आउटपुट को नियंत्रित करता है। PWM इनवर्टर सौर पैनल सरणी के अधिकतम पावर पॉइंट को ट्रैक नहीं करते हैं और केवल एक निश्चित वोल्टेज पर ही काम कर सकते हैं। नतीजतन, वे एमपीपीटी इनवर्टर के रूप में कुशल नहीं हो सकते हैं, खासकर उन परिस्थितियों में जहां मौसम या छायांकन की स्थिति बदल रही है।
सारांश में, जबकि PWM इनवर्टर छोटे सौर पैनल सिस्टम के लिए एक सरल और कम खर्चीला विकल्प है, MPPT इनवर्टर आम तौर पर बड़े और अधिक जटिल सौर पैनल प्रतिष्ठानों के लिए अधिक कुशल और प्रभावी होते हैं। सोलर पैनल बिजली कैसे बनाते है उसके बारे माँ जयदा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे ।।
conclusion : –
जैसा की आप जानते है की हम जैसा पैसा लगयेगे उतना ही हमें फायदा मिलेगा क्युकी हमारा मानना है की सोलर एक बोहत बड़ा प्रोजेक्ट होता है । इस लिए हमें इसके इन्वर्टर पर भी ध्यान देना चाहिए क्यकि अगर हमने सोलर पैनल तो बढ़िया लगवा लिए पर इन्वर्टर अच्छा नहीं लगया तो अपनी एनर्जी वेस्ट हो जाएगी और आपका बिजली का बिल काम नहीं हो पायेगा तो इस लिए हमेशा 5kw वाले mppt सोलर इन्वर्टर का ही प्रयोग करे ।
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