एम आर आई क्या है :-
mri की फुल फॉर्म मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग स्कैन इसका अविष्कार पीटर मैन्सफील्ड ने सन 1977 मे किया । और इसमें कुछ सुधर करके इंसानो के ऊपर प्रयोग रेमंड दामडीएन ने किया था लेकिन अब भी ये इंसानो पर बुरा प्रभाव डाल सकता था आजकल मेडिकल क्षेत्र दिन प्रति दिन और जयदा एडवांस होता जा रहा है । जिनका सबसे बड़ा श्रेय इंजीनियर को जाता है जिन्होंने मेडिकल की जरूरतों को समझा और उनको हल करने में जुट गए और फिर चाहे वो इलेक्टॉनिक इंजीनियर हो या एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर जब ये दोनों आपस में मिलकर काम करते है तो हर मुश्किल का सलूशन ढूढ़ ही लेते है । जैसे की पिछले दशकों में रिड की हड्डी की जाँच करने का कोई तरीका नहीं था तथ सॉफ टिशू की जाँच करने के लिए ऍम आर आयी प्रचलित है ।
जरुरी कम्पोनेंट्स :-

एम आर आई मशीन के कुछ महत्व पूर्ण अंग है जिस की वजह से इतना काम कर पाती है । इसमें मुख्यता चार पार्ट होते है जो इस प्रकार है । पहला जो बोहत महत्वपूर्ण है वो एल्क्ट्रो मैग्नेटिस्म है इसके इलावा रेडियो फ्रिक्वेन्सी मूविंग टेबल ( जिस पर मरीज को लेटाया जाता है ) और गरदिअन्त कएल शामिल है इसके साथ पावरफुल कंप्यूटर इससे कनेक्टेड रहता है जो की इलेक्ट्रिकल एनर्जी को प्रोसेस करके इमेज मे कन्वर्ट कर देता है ।
प्रिंसिपल ऑफ़ एम आर आई :-
एम आर आई मशीन मे ये 4 कम्पोनेंट्स ही है जो विशेष टाइम पर अपना काम कर के एक बेहतर रिसल्ट प्रोवाइड करते है ।जिसकी सुरुवात मरीज को टेबल पर लेटने से होती हैइसमें लेटने से पहले मरीज के शरीर से सब मैटल की वस्तु को निकाल लिया जाता है ।क्युकी इसकी वर्किंग के दौरान ये इसमें जबरदस्त मैग्नेटिक फिल्ड बनता है । जो की एक सुई पर भी काफी प्रभाव डालता है और वो मशीन के द्वारा खींची जा सकती है । और मशीन के साथ साथ मरीज को भी अधिक क्षति पहुंच सकती है ।इसमें इसके साथ कंप्यूटर सिस्टम को ऑन करके उसमे कुछ सेटिंग्स को सेट किया जा

ता है जो की मरीज की उम्र या हालात को देख कर किया जाता है इसमें पहली सेटिंग मैग्नेटिक फिल्ड का मान तथा टेबल की स्पीड शामिल है । और फिर सिस्टम को स्टार्ट कमांड दिया जाता है जिससे सिस्टम मे पहले से कम्पनी फीडेड देता के हिसाब से वो काम करना शुरू कर देते है । इस दौरान मैग्नेटिक फिल्ड ऑन होता है और शरीर मे वाटर मलूकुल से पर्तिकिर्या करता है जिसके साथ ग्रीडिएंट कोइल भी अपना रोल ऐडा करती है और एक 3d शेप इमेज बनाती है । क्युकी ये x.y.z.axis मे लगी होती है । जिसके साथ जब आउटपुट इमेज की बारी आती है तो रेडिओ वेव निकलना शुरू हो जाती है । शरीर के के कितने अंदर तक की इमेज बनानी है वो सब कंप्यूटर द्वारा निर्देश दिया जाता है और इमेज बनाना शुरू हो जाता है ।
आखिर एम आर आई ही क्यों : –
एम आर आई मशीन बॉडी के शोत टिशू पार्ट को भी प्रोसेस कर सकता है । और एक बेहतर ढंग से उसका निरक्षण करने मे सक्षम है जो की किसी और मशीन मे संभव नहीं है । और इसके साथ इसमें रिड की हड्डी की डिस्क को अच्छे से एनालिसिस करके एक बेहतर आउटपुट प्रधान करती है जो की ct स्कैन मे पॉसिबल नहीं हो पता है । क्युकी सीटी सकें एक प्रकार की एक्स रे मशीन की भांति कार्य करती जो सिर्फ रेडियो ववे पर हो निर्भर होती है , इसके साथ इसकी रेडिएशन इतनी खतरनाक होती है जो की हमारे डीएनए की शेल को तोड़ने मे सक्षम है और इंसान को बाहत क्षति पहुँचती है । और एम आर आई मशीन की कॉस्ट भी सीटी स्केन की तुलना मे काफी अधिक होती है , जिस कारण एम आर आई टेस्ट भी काफी कॉस्टली हो जाते है । वीडियो के माध्यम से जानने के लिए यहाँ क्लिक करे ।
conclusion : –
जैसे की आपको पता ही है एम आर आई टेस्ट सीटी स्केन की तुलना मे काफी कॉस्टली होते है । लेकिन हम ऐसा भी कह सकते है एम आर आई एक प्रकार का सेफ प्रोसीजर होता है । जो की बेहतर कोलिटी की इमेज बनाने मे सक्षम है और डॉक्टर एम आर आई की मदत से स्पस्ट हो जाते है की इनके सॉफ्ट पार्ट यानि लंग , किडनी , दिल , और लिवर मे क्या खराबी है । लेकिन सीटी स्केन मे सिर्फ हार्ड पार्ट को ही डयग्नॉज किया जाता है । जैसे की हमरी हड़िया या उनके जॉइंट्स को । एक एम आर आई मशीन की कॉस्ट लगभग 20 से 25 करोड़ तक है जबकि सीटी स्केन की कीमत 5 से 10 करोड़ रूपये मात्र है । नार्को टेस्ट के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करे ।