
राडार क्या होती है
सबसे पहले आते ही की इसकी खोज किसने की तो इसका श्रय रॉबर्ट वाटसन वाट्ट को दिया जाता है राडार एक ऐसी प्रणाली होती है जिसने हम किसी चीज का पता लगाने के लिए प्रयोग करते आज कल ये वायुसेना में काफी प्रयोग किया जाता है । इसकी जो विचित्र बात है वो ये है की आज कल ये इतनी एडवांस होती जा रही है की जैसे भी कोई दुश्मन देश अपनी मिसाइल दागता है तो ये उसको डिटेक्ट करके खुद से उसको हवा मे ही ख़तम करने की क्षमता रखता है । तो आते है मैं पॉइंट पर की ये ऐसा कैसे कर पाता है । इसकी फुल फॉर्म ‘रेडियो डिटेक्शन ऐण्ड रेंजिंग‘ (radio detection and ranging) ऐसा क्या है जिससे इसको पता चल जाता है । की कोई चीज हमारे इलाके मे एंटर हुए है और ये इतनी तेज गति से उसको ढूंढ लेता है और उसको ध्वस्त भी कर देता है । रडार कोई मिसाइल या गोला बारूद नहीं होता ये एक सेफ्टी डिवाइस होती है जो आज के टाइम में हर देश के पास है ।
प्रिंसिपल ऑफ़ रेडियो डिटेक्शन ऐण्ड रेंजिंग टेक्नोलॉजी

राडार का मुख्या पार्ट मैग्नेट्रॉन होता है जो की एक निश्चित रेडियस मे अपनी तरंगे छोड़ता है जैसे ही ये तरंगे किसी भी ऑब्जेक्ट से जा टकराती ही तो राडार को इसका पता चल जाता है और उसे आगे ये इंफोमशन कण्ट्रोल यूनिट को जाती है । जिससे आगे जो भी एक्शन लेना होता है वो लिया जाता है । राडार को एक ऊँची जगह पर लगाया जाता है और इसका निचे का भाग रोटरी होता ही जो की 360 डगरी रोटेट कर सकता है जिससे ये घूमकर अपने चारो और एक सेफ्टी ज़ोन बना लेता है जैसे ही इसमें कोई चीज इंटर करती है फौरन इसकी सुचना मिल्ट्री को मिलती है और वो इसपर कोई भी एक्सन ले सकती है
मैग्नेट्रॉन क्या है ये कैसे काम करता है
मैग्नेट्रॉन एक प्रकार का कैपेसिटर और इंडक्टर से बना एक सीमपल सा ऑसीलेटर सर्किट होता है जैसे ही उसको DC सप्लाई से कनेक्ट किया जाता है वो तरंगे फैकने लगता है , ये तरंगे बौह्त ही कमजोर होती है इनको एक स्पेशल कैश जैसे बने

सिलेंडरनुमा ढांचे मे बंद कर दिया जाता है जिससे इसकी एफिशंसी काफी बढ़ जाती है । और क्युकी नरम लोहे की रोड पर जब एक धतु की वायर लपेटकर उसमे विद्युत धरा को गुजरा जाता है तो वो एक मैग्नेट बन जाता है और उसका एक मैग्नेटिक फिल्ड चारो और फ़ैल जाता है जिससे एक बेहतर मैग्नेट्रॉन का निर्माण किया जा सकता है । और इनको आज कल के सीएनसी ऑपरेटेड मशीनों से इतना पावर फुल बना लिया गया है की एक लोहे से बानी कील भी इनकी तरंगो से बच नहीं सकती है । ठीक इसी प्रिंसिपल का इस्तिमाल करके माइक्रोवेव को बनाया जाता है जो की हम सब सपने घर मे इस्माल करते आ रहे है । अगर इन तरंगो को किसी चैम्बर में बंद कर दिया जाये तो ये तरंगे आपस में टकराव की वजह से 180 डिग्री का एम्पलीटूड कोण बनती है जिससे इनके संपर्क मे आने वाले वाटर मॉलिक्यूल गर्म होने लगते है ।
ANTI RADAR MATIRIAL-राडार से बच निकलने वाला पदार्थ
जैसा की हमने आपको बताया की Radar kya hoti hai वैसे ही ह्मारे पास कुछ ऐसे भी पदार्थ है । जो की इन एल्क्ट्रोमग्नेटिक तरंगो से बच निकलने मे माहिर है । तो ये ऐसा कैसे कर पाते है आईये जानते है इसकी क्या वजह है । यह एक प्रकार का पॉलीमर होता है जिसकी थिक कटिंग मिसाइलों के ऊपर की जाती है । जिससे इस पॉलिमर की ये खास प्रॉपर्टी होती है । जिससे ये पॉलिमर अपने ऊपर पड़ने वाली प्र्तेक तरंगो को अपने अंडर अब्सॉर्ब कर लेता है जिससे वो तरंगे लौटकर राडार तक नहीं जा पाती और राडार को पता ही नहीं चलता की कोई उसके इलाके मे एंटर कर चूका है लेकिन ये इतना भी आसान नहीं होता क्युकी अगर गलती से भी कोई भी जगह ऐसी छूट गयी जहा पर उसकी कटिंग न तो तो फोरना राडार को पता चल जायेगा । क्योकि कोई भी मिसाइल या एयर क्राफ्ट ऐसा नहीं होता जिसमे कोई रोटरी पार्ट न हो और हीट भी होती है तो इस कारण एंटी मिसाइल बनाना बोहत बड़ी चुनौती होती है जिससे इसका पैसा भी 20 गुना तक बढ़ जाता है । वीडियो के माध्यम से समझने के लिए क्लिक करे ।
conclusion:-
तो जैसा की आपको पता है की इसका मुख्या भाग मैग्नेट्रॉन होता है । और दूसरा रिसीवर आउटपुट होता है मैग्नेट्रॉन तरंगो को सपेस मे छोड़ता है और रिसीवर टकराव के बाद उसको कैच करता है । और प्रोसेसेस के बाद उसको मालूम बाद उसको मालूम पड़ जाता है की तरंगो मे कितना बदलाव आया है । की वो कितने बड़े ऑब्जेक्ट के साथ टकरई है किस दिशा मे है । ये सब इंफोमशन वो मिल्ट्री डिपार्टमेंट के मैं कंप्यूटर को भेज देता है । जिससे की वो उसपर कोई एक्सॉन ले सके ।