intro:-
नार्को टेस्ट का पहला परीक्षण 1922 मे रॉबर्ट हाउस ने किया था नार्को टेस्ट के ऐसा टेस्ट है । जिस को आज के टाइ

म में सिर्फ कोर्ट के आर्डर पर ही किया जा सकता है । क्युकी ये पुलिस केस मे आपराधिक गतिविधियों का पता लगाने मे कारगर होता है । ये उस व्यक्ति का ही हो सकता है जिसे कार्ट ने मुझ्रिम मान लिया हो या उसको शक के दायरे मे खड़ा किया हो , ये मुख्ता मर्डर केस मे ही होता है । पिछले कुछ समय पहले हम शरधा मर्डर केश के बारे मे सुन रहे थे । जिसमे आफताब यानि उसके प्रेमी ने उसके 35 टुकड़े किए थे । उसमे कोर्ट ने नार्को टेस्ट के जरिये सच का पता लगाने के लिए डॉक्टर्स को ये जिम्मा सौंपा था । लेकिन उसमे भोई उन्हें कुछ खास जानकारी नहीं मिल पायी ।
कैसे किया जाता है :-
नार्को टेस्ट की शुरुआत सभी क़ानूनी कारवाही होने के बाद शुरू होती है । और बता दे के नार्को टेस्ट को अपराधी की सहमति मे ही किया जाता है ऐसा सुप्रीम कोर्ट का कहना है । सबसे पहले जिस पर ये टेस्ट करना होता है उसको सरकारी हॉस्पिटल की लैब में ले जाया जाता है , और उसके बाद उसको डिस्प्ले मशीन से कनेक्ट किया जाता है जिससे उसकी पुलस रेट bp ऑक्सीजन लेवल सब रिकॉर्ड किया जाता है जिसके बाद ये निश्चित किया जाता है की इसको कितने मिलीलीटर दवाई का इंजेक्शन लगाया जायेगा और फिर उसको एथेनॉल और बेबीचरस नमक साल्ट का इंजेक्शन दिया जाता है जिससे इंसान आधी बेहोशी मे चला जाता है । और दीमक काम न करने की वजह से उससे जो भी पूछा जाता है , वो बिना कुछ सोचे समझे सच सच बोल देता है ।
इंजेक्शन मे कौन सि दवा होती है।
वैसे हम आपको बात दे की कम्प्लीटली 100% किसी को भी नहीं पता होता की नार्को टेस्ट के दौरान कोनसी दवा का इंजेक्शन लगाया जाता है ले किन कहा जाता है की उनको सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन दिया जाता है जिससे लेना वाला 90% सच बोलता है ऐसा माना जाता है। और इस इंजेक्शन के लगने के बाद इंसान को 2 घंटे तक इसका असर रहता है
नार्को टेस्ट कितना खतरनाक है
आपो बता दे की डॉक्टर्स का कहना है की जिस भी इंसान का नार्को टेस्ट किया जाता है । उससे पहले उसके कई प्रकार के टेस्ट किये जाते है । अगर उन टेस्ट में सब कुछ ठीक थक हो तब ही उसका टेस्ट किया जाता है । क्युकी इस इंजेक्शन के लगने के बाद अगर जरा सी भी चूक हो जाये तो इंसान कोमा में भी जा सकता है । और अगर उसे किसी प्रकार की एलर्जी है तो वो इंसान का ब्लडप्रेशर एकदम बढ़ेगा और उसकी मोत भी हो सकती है , नार्को टेस्ट बोहत ही रियर केस में किया जाता है । जैसे की आतंकवादी या मर्डर केस मे । वीडियो के माधयम से समझने के लिए यहाँ क्लिक करे
conclusion :-
जैसा की हमने बताया है की नार्को टेस्ट एक प्रकार का दीमाक को पढ़ने वाला टेस्ट है । जैसे ही नार्को टेस्ट वाला इंजेक्शन किसी भी मनुष्य को लगता है । वैसे ही वो अपने सोचने समझने की सकती खो बैठता है और जो भी उसको पूछा जाये वो बिना कुछ सोचे समझे उसका सही सही जवाब देना शुरू कर देता है । जिससे कानून की काफी मदत हो जाती है ।
FAQ :-
Q :- नार्को टेस्ट से क्या पता चलता है?
ANS :- नार्को टेस्ट से हम किसी भी मनुष्य के दिमाक मे क्या है । उसका आसानी से पता जा सकता है । और ये टेस्ट सब लोग नहीं करवा सकते ये सिर्फ सघीन अपराध मे अदालत की अनुमति मे ही किया जाता है ।